लाइफ में लोगो को कई तरह की समस्याएँ होती हैं। शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसके जीवन में एक भी समस्या नहीं होगी। कोई पैसो की तंगी से जूझ रहा है, कोई किसी प्रकार की बीमारी से, कोई रिश्तों में आ रही अनबन से और कोई किसी प्रकार के अटके हुए अधूरे काम से परेशान है। हर समस्या का समाधान होता है पर परिस्थिती ऐसी हो जाती है कि व्यक्ति आसानी से समसयाओ से बाहर नहीं आ पाता और खुद को अकेला या हताश पाता है। पर क्या आप जानते हैं कि ऐसी कई आदतें हैं जिनसे आप खुद ही अपनी समस्याओं को और बढ़ा लेते हैं! आईये जानें उन्हीं आदतों के बारे में…
समस्याओं से भागना
कभी भी समस्या से भागना नहीं चाहिए। समस्याओं से बचा जरुर जा सकता है पर एक बार समस्या यदि पल्ले पड़ ही गयी तो उससे भागने के बजाए उसका निपटारा करने की कोशिश करना चाहिए। समस्याओ से भागना उस शुतुरमुर्ग की तरह है जो खतरे को देख कर अपना रेत में मुंह छुपा लेता है, ऐसा करने से समस्या दिखती नहीं है पर वह होती जरुर है और उससे होने वाले नुकसान भी हानि पहुचाते हैं, इसीलिए समस्याओ से भागना जरुरी नहीं है। आपको हमेशा उसके निवारण पर ध्यान चाहिए।
यहां क्लिक कर सुकूनमंत्रा के WhatsApp Channel से जुड़िये।खुद को कमजोर समझना
विपरीत परिस्थिति आपको अकेला, कमजोर, असहाय महसूस करवा सकती है। पर यह केवल आपकी सोच के कारण होता है, कभी भी खुद को कमजोर नहीं समझना चाहिए, वरना समस्या और भी बढ़ सकती है। बहुत से लोग समस्या के समय ऐसा सोचते हैं कि “मैं यह नहीं कर सकता हूँ”, “इस समस्या का कोई निवारण नहीं हैं”, “मैं अन्य लोगो की तुलना में कमजोर हूँ इसीलिए इस समस्या में घिर हूँ” आदि। आपकी यह सोच आपके विकास में बाधा बनती है।
चीजों को दोहराते रहना और नए की उम्मीद करना
बहुत से लोग अपने दैनिक जीवन में बदलाव नहीं करते हैं और चीजों को दोहराते रहते हैं फिर भी उम्मीद करते हैं कि जीवन में बदलाव जरुर आएगा। पर ऐसा होना सम्भव ही नहीं है। अगर आप उन्ही पुरानी चीज़ों को दोहराते रहेंगे तो परिणाम भी वैसे ही मिलेंगे। इसलिए कुछ आदतों में परिवर्तन जरुर करें और फिर आप पाएंगे कि आपकी लाइफ में कुछ परिवर्तन जरुर हुए हैं। दोहराव के कारण समस्या व परिस्थिति स्थिर बनी रह सकती है और उसका कोई निवारण नहीं निकलता। साथ ही दिन पर दिन वह समस्या और बढ़ती चली जाती है इसीलिए समय रहते अपने जीवन में परिवर्तन कर लेना चाहिए। उदाहरण के लिए, नोकिया कंपनी अगर समय के साथ एंड्राइड टेक्नोलॉजी पर फ़ोन लांच कर देती तो शायद आज उसका भी नाम मार्केट में दिग्गज कंपनियों के साथ होता?
अपनी समस्याओं के लिए दूसरे को दोषी ठहराना
आप अपनी खुशी और दुःख के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं। अपनी समस्याओं के लिए दूसरों को दोष देना गलत है। यदि आप अपने जीवन में समस्याओं का सामना कर रहे हैं और उनसे निजात नहीं मिल पा रहा है, तो किसी विशेषज्ञ से मदद लेने के बारे में सोचें। अपना समय बुद्धिमानी से व्यतीत करें और नकारात्मक विचारों पर ध्यान केन्द्रित करने से बचें। हर स्थिति में सकारात्मक रहें और जीवन का आनंद लेने का प्रयास करें। जब आप उदास या तनावग्रस्त हों, तो अपने मित्रों की सलाह सुनें और दूसरों को दोष देने से बचें।
समस्याओं को स्थाई मानना
समस्याएं कभी स्थिर नहीं होती है। या तो उनका निवारण हो जाता है या फिर आप उनके साथ जीना सिख जाते हैं, जिस कारण पहले की तुलना में वह समस्या छोटी लगने लगती है। कोई व्यक्ति किसी प्रकार की समस्या के आ जाने के बाद यदि यह सोच कर बैठ जाता है कि अब तो कुछ नहीं हो सकता, इस परेशानी का कोई निवारण ही नहीं है, अब मुझे इसी समस्या के साथ जीना होगा तो यह बिलकुल गलत अवधारणा है और ऐसा करने से वह समस्या बढ़ने लगती है। इसके विपरीत यदि परेशानी का डटकर सामना किया जाए तो यह ज्यादा बेहतर है।
बार-बार समस्याओं की बात करना
अगर आप बार-बार समस्याओं को लेकर चिंता जताते रहते हैं तो आप कभी भी उसके निवारण को नहीं खोज सकेंगे। प्रॉब्लम को लेकर बात करना बुरा नहीं है पर बार- बार इन्हें दिमाग में लाकर मन को दुखी करना और लोगों के सामने अपनी समस्याओं को बार-बार सुनाना आपकी समस्या को और बड़ा सकता है या फिर मानसिक तनाव को बड़ा सकता है। हाँ परेशानी में दोस्तों से मदद लेना, उनसे सलाह लेना ठीक है। परन्तु अगर आप बार-बार एक ही दुखड़ा उनके आगे रोयेंगे तो वो आपसे बचने का प्रयास करेंगे और रिश्तों में खटास आ जाएगी।
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