विश्व के कई लोग मानसिक बीमारियों का सामना कर रहे हैं, जो कि उनके जीवन पर गहरा नकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं। WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार 2019 में, वैश्विक स्तर पर 970 मिलियन (97 करोड़) लोग मानसिक विकार से पीड़ित थे। यदि मानसिक बीमारियों की बात की जाए तो सबसे पहले डिप्रेशन व एंग्जायटी डिसऑर्डर आदि का नाम ध्यान आता है। क्योंकि यह सबसे आम मानसिक विकार है।

मानसिक बिमारियों के लक्षणों को Behaviour therapy (व्यवहार चिकित्सा) के द्वारा कम किया जा सकता है। व्यवहार चिकित्सा केवल डिप्रेशन का ही इलाज नहीं करती है, यह अन्य कई और मानसिक बिमारियों को खत्म करने में मददगार है, जिसमें खासकर भय, ईटिंग डिसऑर्डर, OCD, नशे के कारण उत्पन्न विकार, नकारात्मक विचार सम्बन्धी विकार, फोबिया आदि शामिल है।

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व्यवहार चिकित्सा क्या है?

मानसिक स्वास्थ्य से जुडी कई समस्याएं वर्तमान में उपस्थित हैं जिनके उपचारों के लिए कई तरह की Therapy और दवाओं का उपयोग किया जाता है, Behaviour therapy उन्ही में से एक है। अनुपयुक्त व्यवहार को परिवर्तित करने के लिए व्यवहार चिकित्सा (Behaviour therapy) का उपयोग किया जाता है। इस चिकित्सा की सहायता से व्यक्ति में नये सकारात्मक व्यवहार को जन्म दिया जा सकता है। जिससे उसे अपने नकारात्मक व्यवहार के कारण आने वाली मानसिक तथा शारीरिक समस्याओं को कम करने में सहायता मिलती है। यह चिकित्सा मनोविज्ञान का एक ख़ास भाग है और मनोचिकित्सा का एक प्रकार है।

इस थेरेपी की मदद से दोषपूर्ण व्यवहार और विचार पैटर्न को बदला जाता है ताकि मानसिक तनाव, लत, चिंता, भय को खत्म किया जा सके। यह थेरेपी किसी एक विधि पर आधारित नहीं है बल्कि इसमें कई तरह की अलग-अलग तकनीकें शामिल हैं। इस चिकित्सा के बाद व्यक्ति सही निर्णय लेने में सक्षम हो जाता है व कार्य में ध्यान केन्द्रित कर पता है। अपनी मानसिक समस्या से निजात पाने के कारण वह खुशहाल जीवन व्यतीत कर पाता है और समाज में कंधे से कंधा मिला कर चलता है। साथ ही वह परिवर्तन को स्वीकारता है तथा विकास के अवसरों की तलाश में भी रहता है।

Behavioral Therapy के प्रकार

  • Applied Behavior Analysis
  • Dialectical Behavioral Therapy (DBT)
  • Cognitive Behavioral Therapy (CBT)
  • Rational Emotive Behavior Therapy (REBT)
  • Social Learning Theory
  • Exposure Therapy

Applied Behavior Analysis

Applied Behavior Analysis में ऐसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है जिनकी मदद से व्यवहार को समझा और बदला जाता है। इस तकनीक के माध्यम से दृष्टिकोण, विचारों और भावनाओं में परिवर्तन किया जाता है जिससे की Positive और healthy lifestyle मिलती है। इसमें एक से अधिक तकनीकें शामिल है। यह अक्सर ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार (एएसडी) वाले व्यक्तियों की मदद के लिए उपयोग की जाती है, लेकिन इसका उपयोग अन्य विकासात्मक स्थितियों या व्यावहारिक चुनौतियों वाले व्यक्तियों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। यह विधि व्यक्तियों को नए कौशल सीखने और विभिन्न स्थितियों में व्यवहार सुधारने में मदद करती है।

Dialectical Behavioral Therapy (DBT)

यह एक तरह की बातचीत थेरेपी है, जो लोगों को यह समझने में सहायक है कि विचार किस तरह भावनाओं को प्रभावित करते हैं और भावनाओं को आसानी से परिवर्तित कर देते हैं। इसमें आत्महत्या के विचार आना भावनात्मक अस्थिरता, गंभीर अवसाद जैसी स्थितियों का इलाज किया जाता है। DBT के मुख्य उद्देश्य हैं: व्यक्तियों को उनकी भावनाओं को नियंत्रित करना सिखाना, कठिनाई सहने की क्षमता विकसित करना, संबंधों में सुधार करना, और माइंडफुलनेस कौशल विकसित करना।

Cognitive Behavioral Therapy (CBT)

यह थेरेपी सोचने के तरीके को बदलती है और आपको एक सकारात्मक सोच प्रदान करती है। इसकी मदद से आप चुनौतियों का सामना आसानी से कर पाते हैं। इस Therapy को हिंदी में संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है कि अपने विचारों पर ध्यान देकर उन्हें नकारात्मक से सकारात्मक बनाना।

Rational Emotive Behavior Therapy (REBT)

यह संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी का ही एक प्रकार है। इसमें व्यक्ति को यह सिखाया जाता है कि किस तरह तनाव, अवसाद तथा भय की स्थिति को तर्कसंगत तरीके से प्रतिक्रिया देने पर कम किया जा सकता है।

Social Learning Theory

Social Learning Theory में दुसरे लोगों से सिखा जाता है, अवलोकन इस थ्योरी का मुख्य स्तम्भ कहा जा सकता है क्योंकि इसमें दुसरो के व्यवहार को देख कर स्वयं को प्रशिक्षित किया जाता है, और स्वयं के जीवन की गुणवत्ता को सुधारा जाता है।

Exposure Therapy

इस थेरेपी से व्यक्ति के डर को कम किया जाता है और उसके फोबिया की समस्या को खत्म करने की कोशिश की जाती है यह बेहद कारगर थेरेपी मानी गयी है। यदि किसी व्यक्ति को किसी विशेष स्थिति या वस्तु से डर लगता है तो उसके जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है, इस थेरेपी की मदद से फोबिया को खत्म किया जा सकता हैं।

निष्कर्ष:

मेन्टल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं के समाधान में बिहेवियर थेरेपी (व्यवहार चिकित्सा) अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस चिकित्सा के विभिन्न प्रकारों जैसे CBT, DBT, और Exposure Therapy द्वारा, व्यक्ति अपने व्यवहार और सोच को सकारात्मक दिशा में बदल सकता है। इसके परिणामस्वरूप, व्यक्ति अपनी मानसिक समस्याओं से निपटने में सक्षम होता है और खुशहाल जीवन जीने की क्षमता प्राप्त करता है। व्यवहार चिकित्सा एक मार्गदर्शक तकनीक है जो व्यक्ति को समस्याओं का सामना करने में सहायता प्रदान करती है और उसे सकारात्मक जीवन की ओर अग्रसर करती है।

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