ओवरथिंकिंग (Overthinking) वह स्थिति है जब आप किसी एक ही बात या विषय को बार-बार सोचते हैं। आप अपने ही दिमाग में उस विषय को लेकर इतना गहराई तक चले जाते हैं कि अलग-अलग परिस्थितियों में क्या होगा, लोगों की क्या प्रतिक्रिया होगी यह भी इमेजिन करने लग जाते हैं। और इसी ज्यादा सोचने की वजह से मानसिक तनाव, अवसाद की समस्या होने लगती है। कई बार बड़े फैसले लेते समय या किसी भी प्रकार के परिवर्तन के समय कुछ लोगों का दिमाग अत्यधिक सोचने लगता है। जैसे करियर चुनते समय, कुछ खरीदते समय, धौख मिलने पर आदि। हमारा मस्तिष्क इस प्रकार से Developed है कि वह कुछ भी कार्य को करने से पहले उसके परिणाम के बारे में जरुर सोचता है पर कई लोगो में यह क्रिया अत्यधिक होती है और वो इस पर क़ाबू नही करते हैं और ओवरथिंकिंग के शिकार हो जाते हैं। आज हम बात करेंगे ओवरथिंकिंग के 5 ऐसे नुकसान के बारे में जो आपका जीवन तहस-नहस कर देंगे।
दिमाग में विचारों का आना आम बात है पर यदि आप एक ही बात को बार-बार लम्बे समय तक सोचते रहते हैं तो आप Overthinking के शिकार हो सकते हैं। ओवरथिंकिंग आपको कई तरह से प्रभावित करती है। यह आपके दैनिक जीवन पर असर डालती है तथा आपको लक्ष्यों को प्राप्त करने से रोकती है। आपके दिमाग में कई तरह के नकारात्मक विचारों का कारण, ज्यादा सोचना हो सकता है। बार-बार एक ही बात के दोहराव से आप मानसिक रूप से तो थक ही जाते हैं पर इसका असर आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
यहां क्लिक कर सुकूनमंत्रा के WhatsApp Channel से जुड़िये।अगर आप ओवरथिंकिंग से जूझ रहे हैं तो आप निर्णय लेने में भी असमर्थ हो सकते हैं। जिस कारण तनाव, अनिद्रा आदि समस्याएं हो जाती है।
ओवर थिंकिंग के लक्षण
सामान्य विचार आना आम बात है पर कुछ लोगों को ये पता ही नहीं चलता कि वे कब ओवर थिंकिंग के शिकार हो जाते हैं। इस वजह से उन्हें तनाव या अन्य मानसिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। ओवर थिंकिंग की पहचान निम्न लक्षणों से की जा सकती है।
- पिछली घटनाओं पर बार-बार ध्यान देना।
- गलतियों को दोहराना।
- नियंत्रित करने की कोशिश।
- खराब स्थिति या परिणाम की कल्पना करना।
यदि इन लक्षणों पर ध्यान दिया जाए तो ओवर थिंकिंग से बचा जा सकता है। ओवर थिंकिंग एक विकार की तरह है जो आपके मस्तिष्क में ज्यादा नकारात्मक विचारों के आने के कारण उत्पन्न होती है। व्यक्ति ओवर थिंकिंग में पुरानी घटनाओं के बारे में बार-बार और लम्बे समय तक सोचने लगता है और इस घटना से होने वाले प्रभावों के बारे में विचार करने में अपना समय व्यर्थ करता है। ज्यादा सोचने की वजह से वह एक नकारात्मक भाव उत्पन्न कर सकता है और न होने वाली बातों को भी सम्भव मान कर Stress से ग्रसित हो जाता है। यदि किसी प्रकार की गलती हो गयी है तो उसके बारे में लम्बे समय तक सोचने से कुछ लाभ नहीं होता है। यह केवल आपके व्यवहार और स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है।
Overthinking के 5 नुकसान
मित्रता करने और सामाजिक कार्यक्रमों का आनंद लेने की संभावना में कमी
ज्यादा सोचने वाले लोग आसानी से मित्रता नहीं कर पाते हैं और सामाजिक कार्यक्रमों में भी आनंद लेने की जगह वे सोचने में ही व्यस्त रहते हैं। न होने वाले प्रभावों के बारे में विचार करने लगते हैं जिस कारण नये लोगों से बात करने में उन्हें घबराहट महसूस होती है, या बात करने से पहले ये लोग उन्हें जज करने लगते हैं। ऐसे में एक ओवर थिंकर के आत्मविश्वास की कमी भी सबके सामने प्रदर्शित होती है। हर समय में ओवर थिंकिंग करने वाले के दिमाग में कई प्रश्न जन्म ले सकते हैं जिनके उत्तर खोजने के लिए भी वह केवल विचारों पर ही आश्रित होता है ना कि कार्य करने या लोगों से बात करने पर। ऐसे में लोगों और परिवार वालों से दुरी बनने की सम्भावना भी रहती है और व्यक्ति अकेलेपन में ही रहने लग जाता है।
आत्म-संदेह पैदा करता है
ज्यादा सोचने से आत्म संदेह की भावना आ जाती है और स्वयं की योग्यताओं पर संदेह होने लगता है। इसीलिए ज्यादा सोचने की जगह अपने लक्ष्यों को पूरा करने की योजना बनाने में समय लगाना चाहिए। जो लोग किसी भी कार्य को करने से पहले ज्यादा सोचते हैं उनके मन में नकारात्मक विचार आने लगते हैं जिस कारण वह उस कार्य को करने से पीछे भी हट जाते हैं और यह केवल ओवर थिंकिंग के कारण होता है। जो समस्याएँ नहीं होती हैं, मस्तिष्क उनके बारें में भी सोचने के लिए विवश करता है।
समय की बर्बादी
ओवर थिंकिंग से केवल समय की बर्बादी होती है। यह किसी भी व्यक्ति को एक सीमा में बाँध कर रख सकती है जिस कारण समय बीतते जाता है और एक अच्छा अवसर भी हाथ से निकल सकता है। ज्यादा सोचना आपको उलझाए हुए रखता है और कार्य नहीं करने देता है। तथा अंत में व्यक्ति के पास पछतावे के अलावा कुछ नहीं बचता है। इसीलिए ओवर थिंकिंग को बंद कर समय को बचा कर कार्यों पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
नेगेटिविटी बढ़ती है
Overthinking के कारण सकारात्मक विचारों से ज्यादा नकारात्मक विचार आते हैं जिस कारण नकारात्मकता बढ़ जाती है और इसका असर दैनिक जीवन पर भी दिखने लगता है। नकारात्मक विचार आपके व्यवहार के साथ-साथ रिश्तो को भी प्रभावित करते हैं और महत्वपूर्ण कामों को भी करने में भी अड़चन बनते हैं। Overthinking करने वाले व्यक्ति में किसी दूसरे व्यक्ति की तुलना में अधिक नकारात्मकता पायी जाती है जो उसके असफल होने का कारण बनती है।
शारीरिक स्वास्थ्य पर असर
ज्यादा सोचने की वजह से अवसाद, अनिद्रा, Anxiety disorder, हृदय सम्बन्धित रोग होने की सम्भावना अत्यधिक बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त भूख में कमी हो सकती है जिस कारण वजन का कम होना, शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण इम्युनिटी भी कम हो जाती है। शरीर के आंतरिक अंगो के कमजोर होने की भी सम्भावना रहती है।
यदि आपको ओवरथिंकिंग करने की आदत है तो आप इसे आसानी से छोड़ सकते हैं बस आपको कुछ उपायों पर कार्य करने की जरूरत होगी। यह कोई गम्भीर बीमारी नहीं है न ही इससे छुटकारा पाना असम्भव है। यह एक छोटी सी समस्या है। आगे आपको ओवरथिंकिंग से बचने के कुछ उपाय बताएं गये हैं, जिन्हें अपना कर आप ओवरथिंकिंग से आसानी से बाहर आ सकते हैं और अपने जीवन से नकारात्मकता को खत्म कर सकते हैं।
ओवरथिंकिंग से बचने के उपाय
- मेडिटेशन करें: मेडिटेशन करना ओवर थिंकिंग से बचने का एक बेहतरीन उपाय है। ध्यान लगाकर आप अपने मन को स्थिर बना सकते हैं और इसे बहुत ज्यादा सोचने से रोक सकते हैं।
- ध्यान भटकाएं: मेडिटेट करते हुए ध्यान नहीं भटकाना है! बल्कि जब आप ओवर थिंक कर रहे हैं तब अपना ध्यान किसी और चीज़ को करने में लगाएं। इससे आपका दिमाग उस नए काम को करने में लगेगा।
- सोचें कम और काम ज्यादा करें: अपना सारा वक्त सोचने में लगाने से बेहतर है आप काम करें। जो भी काम आप करने का सोच रहे हैं अगर आप उठकर उसे करेंगे तो हो सकता है थोड़ी गलतियां उसमें हो। लेकिन, कम से कम काम तो थोड़ा आगे बढ़ेगा ना?
- टॉक्सिक लोगों से दूरी है जरूरी: जो लोग विक्टिम कार्ड खेलें, आपकी मानसिक शांति को खराब करें, उनसे दूरी बना लेना ही बेहतर है।
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