Gelotophobia in Hindi

हंसी और मजाक हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग हैं। ये हमारे तनाव को कम करने में और जीवन को आनंदमय बनाने में मदद करते हैं। लेकिन क्या होगा जब किसी को हंसी से ही डर लगने लगे? क्या होगा अगर किसी व्यक्ति के लिए मजाक ही एक बुरा सपना बन जाये? यही स्थिति है जेलोटोफोबिया की, जिसमें व्यक्ति हंसी और मजाक से डरने लगता है। चलिए आज चर्चा करते हैं कि ये जेलोटोफोबिया क्या है, साथ ही इसके कारण और निवारण क्या हो सकते हैं?

क्या है जेलोटोफोबिया? Gelotophobia in Hindi

दूसरों द्वारा मजाक उड़ाए जाने और हंसी का पात्र बनने से अक्सर शर्मिंदगी महसूस होती है, जो भावनात्मक रूप से बहुत दर्दनाक और असहनीय होती है। कुछ लोग इसे आसानी से भुला देते हैं या इसे मजाक में ले लेते हैं, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह हंसी का डर हमेशा बना रहता है। उन्हें हमेशा यह लगता है कि वे खुद ही मजाक के पात्र हैं।

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जेलोटोफोबिया एक मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति हंसी और मजाक का अत्यधिक डर महसूस करने लगता है। यह एक प्रकार का सोशल फोबिया है जिसमें व्यक्ति को लगता है कि लोग उसकी हंसी उड़ा रहे हैं। यह स्थिति इतनी प्रबल होती है कि इस फोबिया से पीड़ित व्यक्ति के आसपास यदि कोई किसी भी बात पर क्यों न हंस रहा हो, उसे यही लगता है कि वह मुझ पर ही हंस रहा है। इस वजह से पीड़ित व्यक्ति लोगों के बिच जाने में डरता है जिससे उसके व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन पर गहरा असर पड़ता है।

स्विट्ज़रलैंड के ज्यूरिख विश्वविद्यालय की डॉ. ट्रेसी प्लैट के अनुसार, “जेलोटोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति अक्सर मजाक-मस्ती और वास्तविक अपमान में फर्क नहीं कर पाते। आपके द्वारा किया हुआ छोटा सा मजाक भी इन्हें अपमान जैसा लगता है।”

जेलोटोफोबिया विकसित होने के कारण

आमतौर पर यह फोबिया बचपन या किशोरावस्था में उत्पन्न होता है, लेकिन यह किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है। इसके कारण निम्न हो सकते हैं।

बाल्यकाल की घटनाएं: बचपन में बार-बार मजाक का पात्र बनने, अपमानित होने के कारण और अपने सह पाठियों व पालकों द्वारा सहयोग न मिलने के कारण बच्चों में जेलोटोफोबिया उत्पन्न हो सकता है।

किशोरावस्था में: यह वह उम्र होती है जब आप दूसरों की राय और अपने बारे में धारणाओं के प्रति संवेदनशील होते हैं। जब आप युवा होते हैं, तो आपकी पहचान भी बन रही होती है और आप यह तय कर रहे होते हैं कि दूसरों के सामने कैसे आना है। इसी उम्र में दूसरे युवाओं द्वारा परेशान करना (बुलीइंग और रैगिंग) इत्यादि का सामना भी करना पड़ सकता है। अगर युवाओं को यह मानने पर मजबूर किया जाता है कि वे दूसरों की टिप्पणियों और व्यवहार के कारण हंसी के पात्र हैं, तो यह भावना उनमें उत्पन्न हो सकती है।

आत्म-सम्मान की कमी: कम आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास की कमी वाले लोग इस फोबिया से अधिक प्रभावित हो सकते हैं।

लक्षण

जेलोटोफोबिया के लक्षण आमतौर पर ऑटोमैटिक और अनियंत्रित होते हैं और व्यक्ति के विचारों पर हावी हो सकते हैं जिससे अक्सर उस डरावनी वस्तु या स्थिति से बचने के लिए अत्यधिक उपाय किए जाते हैं, जिन्हें “सुरक्षा” या “बचाव” व्यवहार कहा जाता है। जेलोटोफोबिया के हाई लेवल्स में, व्यक्ति के दिल की धड़कन का तेज होना, पसीना आना और यहाँ तक कि हिंसा करना जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। पीड़ितों ने ये भी बताया है कि जब जेलोटोफोबिया उनपर हावी होता है तो उन्हें शर्मिंदगी और अपमान की भावना महसूस होती है और साथ गुस्सा भी आता है जो कि कई दिनों तक रह सकता है।

अन्य लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:

  • मजाक उड़ाए जाने से बचने के लिए सामाजिक गतिविधियों से दूर रहना।
  • हंसी-मजाक से दूर रहना/हर अवस्था में गंभीर रहना।
  • शरमाना, तनाव के कारण सिरदर्द, कांपना, चक्कर आना, नींद में परेशानी।
  • पिनोकियो सिंड्रोम’ का प्रदर्शन: क्लम्सी, लकड़ी की कठपुतली जैसा दिखना।
  • हंसी-मजाक को आरामदायक और आनंददायक सामाजिक अनुभव के रूप में महसूस न कर पाना।
  • जीवंतता, सहजता, आनंद की कमी।
  • दूसरों द्वारा मजाक करने या हंसने पर गुस्सा आना (कुछ मामलों में, यह उन लोगों पर हिंसक हमले में बदल जाता है जो हंस रहे थे)।

उपचार

ज्यादातर लोग जिन्हें जेलोटोफोबिया है उन्हें पता होता है कि उनका डर “बेवजह” है, लेकिन इसके बाद भी वे इसे अनुभव करते रहते हैं। इसीलिए आप केवल ये कहकर कि “ये तो केवल भ्रम है इससे बाहर आ जाओ”, इसका समाधान नहीं कर सकते हैं।

ये एक प्रकार का सोशल फोबिया है जो पुराने अनुभवों से जुड़ा हो सकता है, इसका सबसे प्रभावी इलाज कॉग्निटिव-बिहेवरीयरल थेरेपी (CBT) हो सकता है। इसमें आपको ये बताया जाता है कि कैसे आप जब किसी को हँसते हुए सुनते हैं तो अपने विचारों को कैसे बदले और खुद से यह सवाल करें कि क्या वास्तव में वे लोग आप पर ही हंस रहे हैं? साथ ही इस समस्या से निपटने के कौशल भी आपको सिखाये जा सकते हैं ताकि भले ही आपको लगे कि लोग आप पर हंस रहे हैं, इसका असर आपके आत्मसम्मान और मूड पर कम हो जाए।

चूँकि जेलोटोफोबिया अपेक्षाकृत नया है, इसके विभिन्न उपचारों पर शोध चल रहे हैं।

निष्कर्ष:

जेलोटोफोबिया एक गंभीर मानसिक स्थिति है, लेकिन सही उपचार के साथ इससे निपटना संभव है। यदि आप या आपका कोई प्रिय व्यक्ति इस फोबिया से पीड़ित है, तो प्रोफेशनल मदद लेने में संकोच न करें। जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना और हंसी को फिर से जीवन का हिस्सा बनाना संभव है। याद रखें, हंसी सबसे अच्छी दवा है, और हर किसी को इसका आनंद लेने का अधिकार है।

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