ट्रॉमा एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपनी किसी बुरी या दर्दनाक घटना को भुला नहीं पाता है और इस कारण सदमे में चला जाता है और लम्बे समय तक इससे प्रभावित रहता है। आज हम ट्रॉमा यानिकी आघात या सदमा के बारे में जानने वाले हैं कि किस तरह ट्रॉमा व्यक्ति को प्रभावित करता है और उसके जीवन पर इसका क्या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है?

ट्रॉमा क्या है?

Trauma का अर्थ है एक गहरा चिंताजनक अनुभव जो किसी व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक कल्याण पर लंबे समय तक असर डाल सकता है। यह अनुभव व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

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अगर किसी व्यक्ति के साथ भूतकाल में ऐसी कोई घटना घटित होती है जो उसके दिमाग पर काफी बुरा असर डालती है, और उस घटना के कारण वह अत्यधिक घबरा जाता है तो उस व्यक्ति में ट्रॉमा जन्म ले सकता है। ट्रॉमा/सदमा एक मानसिक स्थिति है जिसके कारण व्यक्ति काफी कष्ट महसूस कर सकता है। क्योंकि ट्रॉमा इंसान को भावनात्मक और मानसिक रूप से प्रभावित करता है। सदमे में जाने के बाद व्यक्ति का व्यवहार परिवर्तित हो जाता है और वह असामान्य हरकतें करता है व उसके हाव-भाव भी बदल जाते हैं। उसके लिए काम में मन लगाना मुश्किल हो जाता है तथा कुछ मामलों में ट्रॉमा के लक्षण इतने गम्भीर हो जाते हैं कि मरीज पागल तक हो जाता है।

दूसरे शब्दों में, जब कोई व्यक्ति किसी ऐसी अप्रिय स्थिति से गुजरता है जिसके कारण उसे mental stress का सामना करना पड़ता है या किसी तरह का नुकसान उठाना पड़ता है (जैसे किसी परिचित कि मृत्यु, व्यापार में भारी नुकसान) तो वह ट्रॉमा का शिकार हो सकता है। यह लम्बे समय तक चलने वाली समस्या है और इसमें व्यक्ति केवल चिंता ही अनुभव नहीं करता है बल्कि उसे अन्य कई लक्षणों का सामना करना पड़ता है। इससे उबरना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

प्रकार

Acute trauma (तीव्र आघात) – Acute trauma उन लोगों को हो सकता है जो किसी दर्दनाक घटना से गुजरे हों। जैसे – बलात्कार, वाहन दुर्घटना, आतंकवादी हमला। इस तरह का ट्रॉमा PTSD से जुड़ा हुआ माना जाता है।

Chronic trauma (दीर्घकालिक आघात) – अगर कोई व्यक्ति लम्बे समय तक तनावपूर्ण स्थिति में रहता है, प्रतिदिन समान यातना या अप्रिय घटना का शिकार होता है। जैसे – घरेलू हिंसा, बदमाशो द्वारा परेशान करना, तो उसमें इस तरह का ट्रॉमा हो सकता है।

Complex trauma (जटिल आघात) – अगर कोई बच्चा या युवा जटिल कारण से किसी अप्रिय परिस्थिति का सामना करता है, तो उसे Complex trauma हो सकता है। इसके मुख्य कारण धमकाना, शोषण, जबरन गोद लेना, हिंसा, अपहरण आदि है जिस कारण Complex trauma हो जाता है।

Secondary Trauma or Vicarious Trauma (माध्यमिक आघात) – यदि घर का कोई सदस्य या कोई परिचित Trauma का शिकार है तो इस कारण दूसरों पर भी इसका बुरा असर पड़ सकता है। कुछ लोग अपने घर के किसी सदस्य या परिचित के Trauma में होने के कारण स्वयं Trauma के शिकार हो जाते हैं, इस तरह के Trauma को Secondary trauma कहा जाता है।

ट्रॉमा के कारण

हर किसी के जीवन में कभी न कभी ऐसा समय आता है जो उसे मानसिक रूप से परेशान करता है और वह Stress फिल करता है। कुछ समय में यह सामान्य हो जाता है। लेकिन कुछ मामलो में यह तनाव और चिंता ट्रॉमा का रूप भी ले सकती है, ट्रॉमा में इंसान तनावग्रस्त हो जाता है और घटना को भूल नहीं पाता है। ट्रॉमा होने के कई कारण हो सकते हैं –

  • किसी तरह की दुर्घटना।
  • गंभीर रूप से घायल हो जाना।
  • किसी परिचित की मृत्यु।
  • नौकरी से निकाला जाना।
  • व्यापार में भारी नुकसान या व्यापार का बंद हो जाना।
  • प्राकृतिक आपदा का शिकार होना जैसे तूफान, बाढ़, भूकम्प।
  • जीवन को प्रभावित करने वाली बिमारी का शिकार होना।
  • धमकी या जानलेवा हमला होना।
  • आतंकवादी घटना, अपहरण।
  • शारीरिक, मानसिक या यौन शोषण
  • दंगे, युद्ध।

इन कारणों से व्यक्ति में ट्रॉमा की समस्या हो सकती है और वह कई शारीरिक, मानसिक समस्याओ से घिर जाता है। आघात से ग्रस्त व्यक्ति में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं जिमसे सामान्यतः डर, चिंता, निराशा, सिर दर्द शामिल है।

ट्रॉमा के लक्षण

किसी नकारात्मक घटना के बाद मन में एक बुरी भावना जन्म ले सकती है, जो आपको काफी परेशान भी करती है। कई लोग आसानी से इससे बाहर नहीं आ पाते हैं और उनके दिमाग में यह घटना इस तरह से स्थान बना लेती है कि उनके लिए इस भूल पाना या स्वीकार करना आसान नहीं होता है।

  • घटित घटना को सच न मानना।
  • अत्यधिक गुस्से में रहना।
  • डर लगना।
  • बुरे सपने आना।
  • चिंता और तनाव में रहना।
  • शर्मिला व्यवहार रखना।
  • भ्रमित रहना, निर्णय नहीं ले पाना।
  • बेवजह चिंता में रहना।
  • शरीर का सुन्न होना।
  • सिर दर्द।
  • मतली।
  • निराशा महसूस करना।
  • चिड़चिड़ापन बढ़ जाना।
  • ध्यान लगाकर काम न कर पाना।
  • किसी काम में मजा नही आना।
  • अकेले रहने लगना ।
  • बात पर ध्यान न देना।

ट्रॉमा का निदान (Treatment of Trauma)

ट्रॉमा के लक्षणों को कम किया जा सकता है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। यदि घर का कोई सदस्य ट्रॉमा का शिकार है तो इसका असर दुसरे लोगों पर भी होता है और वह भी ट्रॉमा का शिकार हो सकता है। इसीलिए समय के साथ इसके उपचार पर ध्यान देना चाहिए। मनोचिकित्सक की मदद से ट्रॉमा से छुटकारा पाया जा सकता है, इसके लिए वह बीमारी की गम्भीरता और लक्षणों को पहचानते हैं तथा जरुरी Therapy का इस्तेमाल करते हैं। जैसे –

  • Cognitive Behavioral Therapy (CBT)
  • Prolonged Exposure
  • Eye Movement Desensitization and Reprocessing (EMDR) Therapy
  • मैडिटेशन

निष्कर्ष:

यदि कोई व्यक्ति तनाव, चिंता, या ट्रॉमा से गुजर रहा है, तो उसका जीवन बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है। ट्रॉमा में इंसान तनावग्रस्त हो जाता है और घटना को भूल नहीं पाता है। ट्रॉमा होने के कई कारण हो सकते हैं जो कि ऊपर दिए गए हैं। यदि किसी में इनके लक्षण दिखाई देते हैं तो मनोचिकित्सक की मदद से इस समस्या से उभरा जा सकता है।

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