सेल्फ ग्रोथ के लिए इन 5 नकारात्मक धारणाओं को बदलने की है जरूरत

हमारे देश में कई ऐसी नकारात्मक धारणाएँ हैं जो सेल्फ ग्रोथ में बाधा बनती है। यह धारणाएँ हर क्षेत्र में व्यक्ति को सफल होने से रोकती है और इसका उनके जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। स्वयं को विकसित करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आदतों में कई तरह के बदलवाओ की जरूरत होती है। आइये जानते हैं इन 5 नकारात्मक धारणाओं के बारें में जो सेल्फ ग्रोथ में बाधा बनती है।

अवसरों की कमी है इस सोच को बदलें

बहुत से लोगों के बीच यह धारणा है कि आज के समय में अवसरों की कमी है, रोजगार की कमी है, व्यापार में भी पैसा नहीं है। इसलिए जल्द से जल्द एक सरकारी जॉब ढूँढ लेना चाहिए या फिर केवल सरकारी नौकरी के लिए ही तैयारी करते रहना चाहिए! पर ऐसा नहीं है यह केवल एक धारणा है कि आज के समय में अवसरों की कमी है। इसके विपरीत वास्तविकता यह है कि अवसरों में बढ़ोत्तरी हुई है, दुनिया डिजिटल हो रही है, व्यापार को आसानी से अंतराष्ट्रीय स्तर पर ले जाया जा सकता है आदि।

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असफलता को स्वीकार करें

सोसाइटी में लोगो के बीच यह धारणा होती है कि वह किसी कार्य में, व्यापार में, पढाई में असफल हो गये तो लोग क्या कहेंगे? और यही धारणा सेल्फ ग्रोथ को रोकती है, इसीलिए कभी भी असफल होने से नहीं डरना चाहिए केवल अपने परिश्रम पर ध्यान चाहिए। अगर असफलता को आसानी से स्वीकार किया जाए तो मानसिक तनाव भी उत्पन्न नहीं होता है और अगली बार पुनः प्रयास करने की हिम्मत भी रहती है। हर कोई एक बार में सफल नहीं होता है। दुनिया में कई लोग ऐसे हैं जिन्हें उनकी मंजिल कई प्रयासों के बाद मिली है, अगर वह भी असफलता से डरकर बैठ जाते तो शायद आज सफल नहीं होते।

तुलना करने की धारणा न रखें

तुलना करने से हम मानसिक रूप से प्रभावित हो सकते हैं। दूसरों से अपनी तुलना करने से हमारा आत्मविश्वास कम हो सकता है और हम निराश महसूस कर सकते हैं। मानव मस्तिष्क का विकास इस प्रकार किया गया है कि वह समाज में लोगों की उपलब्धियों पर अधिक ध्यान देता है और यह निर्धारित करने का प्रयास करता है कि किन उपलब्धियों के बाद समाज में प्रसिद्धि पाई जा सकती है, जिसके परिणामस्वरूप तुलना की भावना पैदा होती है और सेल्फ ग्रोथ पर प्रभाव पड़ता है।

समय निकल चुका हैं यह न सोचे

कभी भी यह न सोचें कि किसी कार्य को प्रारम्भ करने के लिए समय निकल चुका है और कुछ सिखने के लिए यह उम्र सही नहीं है। किसी भी अच्छे कार्य को करने के लिए समय का इंतज़ार करना हर जगह सही नहीं होता है, इसीलिए जितना हो सके वर्तमान में कार्यो को करने की कोशिश करें और कुछ भी भविष्य पर न टालें। समय के साथ समस्याएँ बढ़ सकती हैं। इसीलिए यदि आप कुछ नई स्किल सीखना चाहते हैं तो उम्र व समय जैसी बंदिशों से बाहर निकलें।

हमेशा सीखते रहें

सेल्फ ग्रोथ के लिय हमेशा सीखते रहना बेहद आवश्यक है। ये धारणा बहुत आम है कि सिखने की केवल एक उम्र होती है। बस स्कूल, कॉलेज में ही सीखना या पढ़ना चाहिए इसके बाद बस काम करना और घर चलाना है! यदि कोई व्यक्ति सीखना छोड़ देता है और यह सोचने लगता है कि अब सिखने से क्या होगा? तो वह व्यक्ति कभी भी आगे चल कर सफल नहीं होता है और ना ही अपने व्यापार या कार्यक्षेत्र में उन्नति करता है। उसकी ग्रोथ एक निश्चित सीमा पर जाकर रुक जाती है। कभी भी सीखना बंद नहीं करना चाहिए। न जाने कब कौनसी स्किल या जानकारी आपके काम जाए?

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Shubham Jadhav
शुभम एक प्रोफेशनल कंटेंट एवं कॉपी राइटर हैं जो ग्राफ़िक्स डिज़ाइन, SEO और डिजिटल मार्केटिंग का भी ज्ञान रखते हैं। शुभम 11 सालों से इसी फील्ड में कार्यरत हैं, इन्होंने टेक्नोलॉजी, एंटरटेनमेंट, गैजेट्स एवं अन्य अलग-अलग विषयों पर अपने विचारों को ब्लॉग पोस्ट्स में पिरोया है। हायर एजुकेशन के साथ ही वे डिजिटल दुनिया से जुड़ चुके थे और इसी को उन्होंने अपना पैशन बनाया। इन्होने विक्रम विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। अपने कुछ व्यक्तिगत अनुभवों को मद्देनज़र रखते हुए और मेंटल हेल्थ अवेयरनेस को बढ़ावा देने के लिए भूमिका गेहलोत एवं नितेश हरोड़े के साथ मिलकर उन्होंने सुकूनमंत्रा को शुरू किया।

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